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Celebrations like Lalita Jayanti underscore her importance, the place rituals and choices are made in her honor. These observances really are a testomony to her enduring attract as well as the profound influence she has on her devotees' life.
नवयौवनशोभाढ्यां वन्दे त्रिपुरसुन्दरीम् ॥९॥
Shodashi is known for guiding devotees towards higher consciousness. Chanting her mantra promotes spiritual awakening, encouraging self-realization and alignment With all the divine. This profit deepens inner peace and wisdom, creating devotees extra attuned to their spiritual plans.
ह्रींमन्त्रान्तैस्त्रिकूटैः स्थिरतरमतिभिर्धार्यमाणां ज्वलन्तीं
पद्मरागनिभां वन्दे देवी त्रिपुरसुन्दरीम् ॥४॥
अष्टारे पुर-सिद्धया विलसितं रोग-प्रणाशे शुभे
कैलाश पर्वत पर नाना रत्नों से शोभित कल्पवृक्ष के नीचे पुष्पों से शोभित, मुनि, गन्धर्व इत्यादि से सेवित, मणियों से मण्डित के मध्य सुखासन में बैठे जगदगुरु भगवान शिव जो चन्द्रमा के अर्ध भाग को शेखर के रूप में धारण किये, हाथ में त्रिशूल और डमरू लिये वृषभ वाहन, जटाधारी, कण्ठ में वासुकी नाथ को लपेटे हुए, शरीर में विभूति लगाये हुए देव नीलकण्ठ त्रिलोचन गजचर्म पहने हुए, शुद्ध स्फटिक के समान, हजारों सूर्यों के समान, गिरजा के अर्द्धांग भूषण, संसार के कारण विश्वरूपी शिव को अपने पूर्ण भक्ति भाव से साष्टांग प्रणाम करते हुए उनके पुत्र मयूर वाहन कार्तिकेय ने पूछा —
सेव्यं गुप्त-तराभिरष्ट-कमले सङ्क्षोभकाख्ये सदा ।
Celebrated with fervor through Lalita Jayanti, her devotees seek out her blessings for prosperity, knowledge, and liberation, acquiring solace check here in her a variety of types plus the profound rituals associated with her worship.
श्वेतपद्मासनारूढां शुद्धस्फटिकसन्निभाम् ।
Getting the attention of Shodashi, kinds thoughts towards Many others grow to be additional good, much less vital. Types interactions morph right into a matter of excellent elegance; a thing of sweetness. This can be the which means of your sugarcane bow which she carries generally.
The worship of Tripura Sundari is actually a journey in direction of self-realization, exactly where her divine elegance serves as a beacon, guiding devotees to the ultimate truth.
षोडशी महाविद्या : पढ़िये त्रिपुरसुंदरी स्तोत्र संस्कृत में – shodashi stotram
यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।